सिंचाई विभाग की भ्रष्टाचार की पोल खुलने पर 4 रिटायर अभियंताओं के खिलाफ दर्ज हुआ मुक़दमा |
गिरिजानन्द शर्मा
ब्यूरो प्रमुख- महाराजगंज
महाराजगंज : सिंचाई विभाग अपने भर्ष्टाचार के कारनामों को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है ।इसी कड़ी में रोहिन वीयर निर्माण में 229 लाख रुपए के सरकारी धन का दुरूपयोग हुआ है । जब इसकी जांच हुई तो जांच में गड़बड़ी सामने आने पर मुकदमा दर्ज कराया गया है । ड्राइंग का शीर्षक ड्राइंग फॉर न्यू रोहिन वीयर का नाम बदल कर गड़बड़झाला कर दिया गया । सेवानिवृत होने के बाद अभियंताओं के कारनामे की पोल खुली तो विभाग में खलबली मच गई है ।
बताते चलें कि सिंचाई विभाग के चार रिटायर अभियंताओं पर 2.29 करोड़ रुपये की सरकारी धन की क्षति करने पर शुक्रवार को महराजगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है । यह कार्रवाई शासन के निर्देश पर हुई है । आरोपितों में दो मुख्य अभियंता गंडक बटुकेश्वर प्रताप सिंह व कृष्णदेव शुक्ल एवं दो अधीक्षण अभियंता अवध कुमार सिंह व दिलीप कुमार दास शामिल हैं । इन लोगों पर आरोप है कि स्वीकृत परियोजना को बदलकर नौतनवां क्षेत्र में रोहिन नदी में बैराज का निर्माण कराया जो बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गया था । जब इसकी जांच हुई तो जांच में कई अनियमितताएं मिलने पर शासन से कार्यवाही का निर्देश जारी हुआ था ।
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता के निर्देश पर सहायक अभियंता द्वारा दी गई तहरीर के मुताबिक प्रदेश सरकार ने वर्ष 2007 में रोहिन नदी के वीयर निर्माण परियोजना के लिए 437 लाख रुपये का प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति प्रदान किया था । मुख्य अभियंता गंडक ने 2008 में वीयर निर्माण के लिए 561.51 लाख रुपये का प्राक्कलन स्वीकृत किया। वीयर निर्माण के लिए अधीक्षण अभियंता को अनुबंध दिया गया । इनके द्वारा स्वीकृत ड्राईंग में वीयर के स्थान पर बैराज के निर्माण का प्रावधान किया गया । उस ड्राईंग के आधार पर बैराज का निर्माण शुरू करा दिया गया ।
वैसे तो रोहिन वीयर के स्थान पर बैराज की डिजाइनकर्ता एजेंसी एएचइसीआईआईटी रुड़की द्वारा परिकल्पना के बाद ड्राइंग 10 मार्च 2008 को जारी की गई । इसे तत्कालीन अधीक्षण अभियंता द्वारा स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया गया । इन्होंने डिजाइनकर्ता एजेंसी से हाइड्रोलिक व स्ट्रक्चरल डिजाइन की गणनाएं प्राप्त नहीं की और न ही उपलब्ध कराई गई । ड्राइंग का विधिवत तकनीकी परीक्षण किए बगैर ही 14 मार्च 2008 को स्वीकृत किया गया । इस कार्य की हाइड्रोलिक व स्ट्रक्चरल डिजाइन को 23 अक्तूबर 2008 को एएचइसी आई.आई.आईटी रूड़की द्वारा तत्कालीन अधिशासी अभियंता, सिंचाई खंड प्रथम, महाराजगंज को मांगने पर उपलब्ध कराई गई ।