दमोह में उर्से बशीरी का हुआ समापन ,देर रात तक चला कव्वालियों का दौर।

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दमोह जिले का तारीख़ी उर्स मुबारक उर्से बशीरी दमोह के मुर्शिद बाबा मैदान के पास स्थित खानकाहे आलिया बशीरिया सिराजिया में बड़े ही शौनो शौकत के साथ मनाया गया । आपको बता दें जिस शख़्सियत का यहां उर्से पाक मनाया गया है वह बुजुर्ग शख्सियत पीर हज़रत सूफी बशीरुल औलिया रहमतुल्लाह अलैह ने खुद यहाँ दमोह में महफ़िल की शुरुआत सन 1958 में डाली थी। तब से लेकर आज तक यहाँ उर्से पाक की महफ़िले इसी तरह सजती आ रहीं हैं । उर्से बशीरी की सरपरस्ती हज़रत सूफी फैजानुलहक साहब ने साहब ने की इस मौके पर महफ़िल सिमा में मुल्क के नामवर क़व्वाल उस्ताद सलीम झंकार साहब ग्वालियर से आये महफ़िल में समां बाँध दिया । हज़रत सूफी बशीर अहमद शाह रहमतुल्लाह अलैह क़ादरी चिश्ती अबुल उलाई सिलसिले से ताल्लुक रखने वाले बुजुर्ग का दो दिवसीय उर्स इसी अंदाज में वर्षो से मनाते आ रहे है । देर रात कव्वालियों का दौर चला इस मौके पर काफी तादाद में स्थानीय अक़ीदतमंदों की मौजूदगी देखी गई । यहाँ दूर दूर से लोग शामिल हुए और अपने पीर का उर्सपाक मनाया ।

अरविन्द पाठक

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