उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पेश

उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पेश
उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता कानून (UCC) का ड्राफ्ट पेश किया। धामी ने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। UCC पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।
बिल पेश करने से पहले मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जिस वक्त का लंबे समय से इंतजार था, वो पल आ गया है। न केवल प्रदेश की सवा करोड़ जनता बल्कि पूरी देश की निगाहे उत्तराखंड की ओर बनी हुई हैं। यह कानून महिला उत्थान को मजबूत करने का कदम है जिसमें हर समुदाय, हर वर्ग, हर धर्म के बारे में विचार किया गया है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बिल को लेकर कहा कि धामी भाजपा नेताओं को खुश करने के लिए इसे लेकर आए हैं। वहीं AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है।
लाइव अपडेट्स
भाजपा विधायक बोले- यह हमारे लिए ऐतिहासिक क्षण
उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए UCC बिल पर उत्तराखंड भाजपा विधायक शिव अरोड़ा ने कहा- यह हमारे लिए ऐतिहासिक क्षण है। UCC से बड़ी खुशी क्या हो सकती है। यह लोगों को समान अधिकार देता है।
ओवैसी बोले- यह मुसलमानों के खिलाफ साजिश

उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए UCC बिल को AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करने की साजिश की जा रही है। ओवैसी ने कहा कि जब जनजातियों को इस बिल से बाहर रखा गया है, तब यह यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे हो सकता है।
हरीश रावत बोले- बिल की कॉपी नहीं दी गई
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्ष को बिल की कॉपी ही नहीं दी गई है। बिल की कॉपी न होने की स्थिति में इस पर चर्चा करना संभव नहीं है।
विधानसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित
उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पेश होने के बाद कार्यवाही को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
भाजपा विधायकों ने लगाए जय श्री राम के नारे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जैसे ही विधानसभा में UCC बिल को टेबल किया, भाजपा के विधायक जय श्री राम के नारे लगाने लगे।
एडॉप्शन की प्रोसेस आसान बनाई जाएगी
नए कानून के मुताबिक सभी को एडॉप्शन का अधिकार मिलेगा। साथ ही किसी बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसान बनाई जाएगी।
पत्नी की मौत हो तो पति उसके माता-पिता की जिम्मेदारी उठाएगा
नए कानून में कहा गया है कि अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
राज्य की 4% जनजातियां कानून के दायरे से बाहर
राज्य की 4% जनजाति को क़ानून से मुक्त रखा गया है। यानी उत्तराखंड में किसी भी जनजाति पर UCC कानून लागू नहीं होगा।
माता-पिता की संपत्ति पर लड़कियों को समान अधिकार
नए कानून के ड्राफ्ट में कहा गया है कि माता-पिता की संपत्ति में पुत्र और पुत्री को समान अधिकार होगा।
नए कानून में लिव इन रिलेशनशिप के लिए नियम
- दो लोगों के साथ रहने से पहले पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- पंजीकरण के टर्मिनेशन का भी पंजीकरण होगा
- इस दौरान कोई संतान पैदा होती है तो उसके हितों का संरक्षण करना होगा और उसे माता-पिता का नाम भी देना होगा।
UCC ड्राफ्ट में शादी को लेकर सुझाव
- लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाएगी, ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
- सभी धर्म और जातियों में विवाह की आयु 18 वर्ष होगी।
- बहुविवाह प्रथा पर रोक लगेगी।
- विवाह का पंजीकरण (लोकल बॉडी में) अनिवार्य होगा।
- कोर्ट के अलावा हर प्रकार के तलाक पर रोक रहेगी।
- पुनर्विवाह के लिए किसी भी प्रकार की शर्त पर रोक रहेगी (जैसे हलाला, इद्दत)।
- वर्जित विवाह परिभाषित किए गए, सगे और चचेरे, ममेरे भाई बहन से विवाह वर्जित होगा, लेकिन यदि किसी धर्म में पहले से ही इसका रिवाज और मान्यता है तो वो ऐसे विवाह की इजाजत होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पेश करेंगे UCC का ड्राफ्ट

प्रदेश की जनजातियों को कानून से रखा जाएगा बाहर
राज्य की जनजातियों पर यह क़ानून लागू नहीं होगा। मतलब उत्तराखंड में निवास करने वाली किसी भी जनजाति इस क़ानून से मुक्त रहेंगी। जनजाति समुदाय की राज्य में पांच प्रकार की जनजातियां है जिनमें थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय शामिल है। चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1967 में इनको संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत जनजाति समुदाय में शामिल करने के लिए अधिसूचित किया गया है। पिछले दिनों आसाम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी कह चुके है कि वो भी अपने प्रदेश में जनजाति और आदिवासियों को इस क़ानून से मुक्त रखेंगे।
800 पन्नों के ड्राफ्ट में 400 सेक्शन, ढाई लाख सुझाव मिले
उत्तराखंड में UCC की एक्सपर्ट कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें लगभग 400 सेक्शन है। और लगभग 800 पन्नों की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट में प्रदेशभर से ऑनलाइन और ऑफलाइन 2.31 लाख सुझावों को शामिल किया गया है।
20 हज़ार लोगों से कमेटी ने सीधे संपर्क किया है। इस दौरान सभी धर्म गुरुओं, संगठनों, राजनीतिक दलों, कानूनविदों से बातचीत की गई है। जिनके सुझावों को कमेटी ने यूसीसी ड्राफ्ट में शामिल किया है।