मातम के साथ निकला ताजियों का जुलूस
सुशील शुक्लामछरेहटा कस्बे में मुहर्रम की दसवीं तारीख पर मछरेहटा क्षेत्र के कई गांवों व कस्बे में मुस्लिम समुदाय के लोगो ने मातमी माहौल में ताजियों को सुपुर्दे खाक किया ।कस्बे से जुलूस सुबह 10 बजे से मदरसा ,तकिया बाजार,मलियाना,फुलवरिया,नई बस्ती,काजियारा ,दखिनारा,राठौरपुर, व मिर्जापुर के रास्ते होते हुए पुनः 6 बजे शाम मिश्रिख तिराहे पर पहुंचा जहा कस्बे के युवाओं ने ढोल ताशो के बीच हजरत इमाम हुसैन की शहादत को मातम करके मनाया ।और ताजियों का जुलूस कर्बला तक देर शाम तक पहुंचा जहाँ उन्हें रात तक सुपुर्दे खाक किया गया वहीँ मंसूरनगर बनियामउ केसरा आदि गावो में भी तजियेदारो ने ताजिये रखे।वहीँ सुरक्षा के दृष्टिकोण से क्षेत्राधिकारी मिश्रिख सुशील कुमार यादव व थानाध्यक्ष राम राघव सिंह मय फोर्स मौके पर मौजूद रहे ।मछरेहटा पुलिस के जवान जुलूस के आगे पीछे यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करते नजर आए ।वही कस्बे के मुहर्रम कमेटी के अध्यक्ष जमीला किन्नर ,व नईम खान,काजी मजाज, काजी असलम , आफताब बेग , सिकंदर, रेहान बेग, रईस प्रधान (राठौरपुर),मोबस्सिर ,मो सिलेमान,अकील खां शदाब,वहीद, मंटू काजी हामिद,मुन्ना ,आसिफ,महनूर, लाला,आदि लोगो ने भी जुलूस को शांति पूर्वक निकालते दिखे इतिहास के अनुसार, यजीद ने इमाम हुसैन के छह माह और 18 माह के बेटे को भी मारने का हुक्म दिया. इसके बाद बच्चों पर तीरों की बारिश कर दी गई. इमाम हुसैन पर भी तलवार से वार किए गए. इस तरह से हजारों यजीदी सिपाहियों ने मिलकर इमाम हुसैन सहित 72 लोगों को शहीद कर दिया. अपने हजारों फौजियों की ताकत के बावजूद यजीद, इमाम हुसैन और उनके साथियों को अपने सामने नहीं झुका सका. दीन के इन मतवालों ने झूठ के आगे सर झुकाने के बजाय अपने सर को कटाना बेहतर समझ. जिसके बाद यह लड़ाई आलम-ए-इस्लाम की एक तारीख बन गई. जंग के आखिर में हुसैन को भी शहादत हासिल हुई जिस कारण हर वर्ष मुहर्रसीम की एक से दस तारीख को ताजिये रख कर हजरत इमाम हुसैन व 72 योद्धाओं की शहादत को याद कर मातम मनाया जाता है ।