सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर का षष्ठम् दीक्षान्त-समारोह

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सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर का षष्ठम् दीक्षान्त-समारोह

रिपोर्टर धीरेन्द्र भाटी

माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने डिग्रियां और स्वर्ण पदक प्रदान किए,

942 विद्यार्थियों को मिली उपाधियां, 6 स्वर्ण पदक से सम्मानित,

सुश्रुत सभागार का किया लोकार्पण

सेवा भावना से समाज एवं राष्ट्र को लाभान्वित करें – राज्यपाल श्री कलराज मिश्र

जोधपुर, माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र की अध्यक्षता में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर का षष्ठम् दीक्षान्त-समारोह विश्वविद्यालय के नवनिर्मित सुश्रुत-सभागार में शुक्रवार को हुआ। इसमें 942 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान करने के साथ ही 6 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक से सम्मानित किया गया।
माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने दीप प्रज्ज्वलित कर दीक्षान्त समारोह का शुभारंभ किया। आयुष मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग तथा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.(वैद्य) बनवारीलाल गौड़ समारोह के विशिष्ट अतिथि थे। राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने इस अवसर पर दीक्षान्त-समारोह के आयोजन-स्थल नवनिर्मित सुश्रुत-सभागार का लोकार्पण भी किया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने संविधान की प्रस्तावना एवं मूल कर्त्तव्यों का वाचन किया।
माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र द्वारा उपाधिधारक विद्यार्थियों को दीक्षा प्रदान की गई। कुलाधिपति ने प्रथम स्थान प्राप्त 06 आयुष स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को ‘चांसलर गोल्ड मेडल’ से तथा आयुर्वेद संकाय के टोपर्स को डाबर इण्डिया लिमिटेड द्वारा प्रदत्त स्वर्णपदक से सम्मानित करने के साथ ही द्वितीय एवं तृतीय वरीयता के 12 आयुष स्नातक एवं स्नातकोत्तर अध्येताओं को प्रमाणपत्र से सम्मानित किया।

राज्यपाल ने किया 6 पुस्तकों का विमोचन
राज्यपाल कलराज मिश्र ने दीक्षान्त समारोह में आयुर्वेद से संबंधित छह पुस्तकों का विमोचन किया। इनमें आयुर्वेदिक फोर्मूलरी ऑफ यूनिवर्सिटी फॉर्मेसी, आयुर्वेद परिचय एव सिद्धान्त तथा धनंजय आयुर्वेद संग्रह के साथ ही स्टूडेन्ट स्किल डवलपमेंट मॉड्युल की तीन पुस्तकें (प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय प्रोफेशनल) सम्मिलित हैं।
अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचे आयुर्वेद का लाभ
राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने अपने उद्बोधन में सभी उपाधिधारकों एवं सम्मानितों को शुभकामनाएं देते हुए आह्वान किया कि विश्वविद्यालय में प्राप्त आयुर्वेद के ज्ञान को सार्थक करने के लिए मानवता की सेवा और राष्ट्र एवं समाज के उत्थान की भावना से समुचित सदुपयोग करें। उत्तरोत्तर अभिवृद्धिकारक ज्ञान ही सार्थक है, इस बात को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि उसका लाभ समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचे और इसके लिए ही विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं को कार्य करना होता है।

दुनिया में बढ़ा आयुर्वेद का मान
उन्होंने कहा कि कोविड के विकट दौर में आयुर्वेद की हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति से रोगोपचार को विश्वभर में मान्यता मिली थी। आयुर्वेद संपूर्ण जीवन विज्ञान है। भारतीय चिकित्सा पद्धति की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि यह स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने के साथ ही रोग शमन में अत्यन्त प्रभावी है।

आधुनिक दृष्टि से शोध की जरूरत
उन्होंने आयुर्वेद के ज्ञान पर आधुनिक दृष्टि से शोध की आवश्यकता पर सर्वाधिक बल देते हुए कहा कि असाध्य से असाध्य व्याधियों का भी समूल रूप से उपचार आयुर्वेद में समाहित है। ’रोग डायग्नोस’ का जो सिस्टम आयुर्वेद में है, वह अन्यत्र किसी विज्ञान में नहीं है। आयुर्वेद विज्ञान से जुड़े प्राचीन ज्ञान का आधुनिक संदर्भों में अधिकाधिक शोध कर हमें आगे बढा़ने की जरूरत है। आयुर्वेद अनादिकाल से हमारी संस्कृति एवं परम्पराओं में रची-बसी प्रवाहित स्वास्थ्य ज्ञान-धारा है। हर काल-खण्ड में विज्ञानसम्मत सिद्धान्तों पर यह स्वयंसिद्ध रही है। इसके आलोक में अधिकाधिक कार्य किए जाने की जरूरत है।

नाड़ी परीक्षण ज्ञान पर अध्ययन करें
उन्होंने रोग परीक्षा एवं रोग निदान के लिए आयुर्वेद की प्राचीन भारतीय परम्परा में समाहित नाड़ी परीक्षण की महिमा बताते हुए आयुर्वेद के विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे आयुर्वेद के इस नाड़ी परीक्षण ज्ञान को आत्मसात करें और आधुनिक संदर्भों में गहराई से उसका अध्ययन करें। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इसका प्रत्यक्ष चमत्कार उन्होंने स्वयं देखा है। आज नाड़ी विशेषज्ञों का अभाव महसूस किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना
राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा आयुष शिक्षण एवं अनुसन्धान के क्षेत्र के अंतर्गत गिलोय पर किये गये शोध-कार्य को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्रदान करने को गौरवपूर्ण बताते हुए प्रसन्नता जाहिर की और कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि विश्वविद्यालय स्थित पंचकर्म सेंटर जोधपुर क्षेत्र एवं राज्य के विभिन्न जिलों से आये रोगियों को इस समय विशेष राहत प्रदान कर रहा है।

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