राहुल गांधी को जमानत मिली,कोर्ट में ये 4 दलीलें, राहुल की सांसदी दोबारा बहाल करा सकती हैं

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसदी दोबारा बहाल होगी या जेल जाएंगे? इसकी सुनवाई के लिए सूरत की सेशन कोर्ट ने 13 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की है। कोर्ट ने फौरी राहत देते हुए राहुल गांधी को रेगुलर जमानत दे दी है। राहुल गांधी के मानहानि मामले में अब क्या होगा, ये कोर्ट में उनकी दलीलों पर निर्भर करता है।

सबसे पहले जानते हैं कि राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में क्या शब्द इस्तेमाल किए थे-

‘…नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी। चोरों का ग्रुप है। आपके जेबों से पैसे लेते हैं… किसानों, छोटे दुकानदारों से पैसा छीनते हैं। और उन्हीं 15 लोगों को पैसा देते हैं। आपको लाइन में खड़ा करवाते हैं। बैंक में पैसा डलवाते हैं और ये पैसा नीरव मोदी लेकर चला जाता है। 35,000 करोड़ रुपए। मेहुल चोकसी, ललित मोदी… अच्छा एक छोटा सा सवाल है। इन सब चोरों के नाम मोदी-मोदी-मोदी कैसे हैं? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी ढूंढेंगे तो और मोदी निकलेंगे।…’

यहां पर राहुल के खिलाफ मानहानि का केस न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न ही नीरव मोदी, न ही ललित मोदी ने किया है। राहुल के खिलाफ मानहानि का केस सूरत से BJP विधायक पूर्णेश मोदी ने किया है।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में मनोज तिवारी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले को खारिज करते हुए कहा था कि धारा 499 के तहत आरोप लगाने के लिए पीड़ित व्यक्ति की स्पष्ट और सीधी मानहानि होनी चहिए।

राहुल की स्पीच में नीरव, ललित और नरेंद्र मोदी के नाम थे, इसलिए विधायक पूर्णेश मोदी की मानहानि होने और उनके दायर मुकदमे की वैधता पर भी सवाल हैं।

मानहानि के मामले में किसी खास व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुंचाने का आरोप स्पष्ट होना चाहिए। आमतौर पर की गई टिप्पणी या बड़े दायरे को समेटने वाली टिप्पणी को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता।

राहुल का ये बयान ठीक वैसा ही जैसा लोग आम बोलचाल में बोल देते हैं कि नेता तो भ्रष्ट होते हैं। ऐसे में अगर कोई नेता देश की किसी कोर्ट में जाकर मुकदमा कर दे कि इससे मेरी मानहानि हुई है, तो इसे मानहानि नहीं कहा जा सकता।

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