9 साल से लापता पति ढूंढ रही थी:भिखारियों में तलाशती

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मेरा नाम जानकी देवी है। मैं माेतीचंद की पत्नी हूं। 2014 से मोतीचंद लापता है और मैं उसे ढूंढ रही हूं। मैं मायके जाऊं, सब्जी लेने या फिर दवाई लेने इनकी (पति) फोटो अपने पर्स में लेकर चलती हूं।

सड़क, प्लेटफॉर्म और बस स्टैंड पर बैठे हर व्यक्ति को ध्यान से देखने की कोशिश करती हूं। हर भिखारी और मानसिक संतुलन खाे चुके व्यक्ति के पास जाती हूं। देखती हूं कि कहीं ये मेरा पति तो नहीं है। जब चेहरा इनसे नहीं मिलता है तो नम आंखों से वापस आ जाती हूं।

कोई भी ऐसा दिन नहीं होता जब मैं यह नहीं सोचती हूं कि कौन इन्हें खाना देता होगा। कौन इन्हें कपड़ा देता होगा। ये कैसे रहते होंगे, नींद आती भी होगी या नहीं।

जितने लोग उतनी ही तरह की बातें। कुछ लोग यह कहते हैं कि मोतीचंद चुप रहता था। सीधा-सादा था। रास्ता नहीं पहचान पाएगा इसलिए घर नहीं आता।

कुछ लोग तो मुझे आकर सीधे कह देते हैं- मर गया होगा। उसके आने की उम्मीद ही छोड़ दो।

लोगों को कहते वक्त जरा भी नहीं लगता कि मुझे बुरा लगता होगा। मैं सबकी सुनती हूं, लेकिन चुप रहती हूं। क्या कहूं। जो भी हैं, मेरे सुहाग हैं वो। बस लौट आएं। मेरे सामने बैठा रहेगा, मैं कमा कर खिलाती रहूंगी।

मैंने उसके आने की उम्मीद अब तक नहीं छोड़ी है। हर दिन लगता है कि वो मिल जाएगा शायद भगवान को यह सब नहीं मंजूर

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