सैकड़ों नीम हकीम सहीत क्षेत्र के प्रभावी फर्जी भी कर रहे है प्रेक्टिस

प्रशासन जांगा तत्काल वरिष्ठ अधिकारियो की टीम ने नर्सिंग होम को किया सील
मध्य प्रदेश आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड भोपाल द्वारा
मध्य प्रदेश आयुर्वेदिक यूनानी चिकित्सा व्यवसाय अधिनियम 1970 क्रमांक 05 सन 1971 के प्रावधानों के अनुसार राज्य शासन के नियंत्रण में गठित एक निकाय का आदेश मान्य करना होता है
भारत में, एक आरएमपी डॉक्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होना चाहिए –
भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 की पहली या दूसरी अनुसूची में शामिल एक मान्यता प्राप्त मेडिकल योग्यता (एमबीएमएस, बीड़ीएस, बीएम एस, बीयूएमएस, बीएसएमएस आदि) होनी चाहिए।
एक मान्यता प्राप्त मेडिकल इंस्टिस्टयूट में सफलतापूर्वक 01 साल की इंटरशिप पूरी होनी चाहिए।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया या स्टेट मेडिकल काउंसिल द्वारा आयोजित स्क्रेनिंग टेस्ट पास करना होगा।
स्टेट मेडिकल काउंसिल द्वारा स्पेसिफाइड अन्य रिकॉर्मेंट (यदि कोई मांगी जाए) को भी पूरा करना होता है
चिकित्सा क्षेत्र में कम से कम 03 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
प्रेक्टिसनर वर्कर जो पिछले 10 वर्षों से अभ्यास कर रहे हैं।
अब एक आरएमपी डॉक्टर बनने के लिए या कहें एक आरएमपी डॉक्टर के रूप में रजिस्टर्ड होने के लिए आपके पास निम्नलिखित योग्यताओं का होना जरूरी है।
पर यहां पर एक बात और है कि इस उपरोक्त जानकारी में अलग-अलग राज्यों या क्षेत्रों में आपको थोड़ा बहुत परिवर्तन भी देखने को मिल सकता है।
क्यूंकि अलग राज्यों के स्टेट मेडिकल काउंसिल कुछ और योग्यताएं भी मांग सकते हैं।
हालांकि सामान्यतः यही सारी योग्यताएं हैं जो कि एक आरएमपी डॉक्टर बनने के लिए आपके पास होनी चाहिए।
बहरहाल ये शासन प्रशासन के नियम है पर देश में नियम मानता कोन है मौजूदा हालात में थांदला विकासखंड में सैकड़ों अवैध रुप से बंगाली मानस का कुकुरमूतो की तरह एक ऐसा जाल बिछा हुवा है जिसकी गिरफ्त में राजनीति के आला नेता सहित अफसर साही भी शामिल है जिनके संरक्षण में बेरोकटोक निर्बाध गति से ये फर्जी अपने दवाखाने संचालित कर रहे है।
वर्षो से अवैध कार्य में लिप्त इन बंगालियों के साथ अब क्षेत्र के प्रभावी सामान्य वर्ग भी इस धंधे में कुद पड़ा है इनका पूरा परिवार ही प्रेक्टिस में कार्यरत है पत्नी बॉटल चढ़ाती है तो पति जांच करता है 300 रुपए में 3,4 अवैध लड़को की भर्ती कर दवाखाने में 8 से 10 का स्टाफ हर समय तेयार रहता है गरीबों का खून चूसने के लिए हद तो तब हो जाती है जब जिला प्रसासन से जिले के अधिकारियो को निर्देश मिलते है इनकी जांच करने के पर ये अधिकारी वही से टारगेट बना कर निकलते है एवम् जांच के नाम पर अपनी जेब भर कर चले जाते है परसो जिस साई नर्सिंग होम एम जी रोड पर बेटी की मौत हुई वो कोई पहला मामला नहीं है इसके पूर्व में भी अनेकों बार इस तरह के केसे हो चुके है फिर भी प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही क्यों नहीं की? एक बार तो बीएमओ थांदला द्वारा जांच के लिए गए किन्तु उन्हे भी बेरंग लौटना पड़ा वजह फर्जी की श्रीमतीजी ने बीएमओ साहेब को दूसरी मंजिल पर जाने ही नहीं दिया की उपर हमारा रेसिडेंस है जबकि वहा भर्ती के लिए बेड लगे हुवे थे अब बीएमओ साहेब की हिम्मत नही हुई उपर जाने की तो हमारी क्या मजाल सूत्रों की माने तो ये फर्जी फोजमल नायक क्षेत्र के फर्जीयो का सरदार है ये सभी से लक्ष्मी एकत्र कर उपर भेट पूजा करता है।
पर कहते है ना अति का अंत होता है पर क्या पता ये फरारी फिर कोई नया गुल खिला दे।
खेर मां लक्ष्मी का वरदहस्त जिसके पास हो वो सब कुछ कर सकता है पर चंद खनकते सिक्को में बिकने वालो उस जान की कीम्मत का अंदाजा तो लगाओ की उस परिवार पर क्या गुजरती होगी जिनकी युवा बेटियां समय के पूर्व इन फर्जीयो के गलती के चलते काल का ग्रास बन जाती है। खेर देर आए दुरस्त आए स्थानीय प्रशासन ने समय रहते जिले से जिला स्वास्थ अधिकारी बीएमओ तहसीलदार महोदय ने त्वरित कार्यवाही कर नर्सिंग होम के साथ ही मेडिकल स्टोर को भी सील कर दीया है सुत्रो के अनुसार इस हर मरीज को एक साथ 3 से 4 बाटल चढा चढा कर ओर 2 से 3 बार उन मरीजों की जांच के नाम पर हर मरीज से 8 हजार से 10