संपादकीय(अशोक मिश्र)राजनीति और अपराध चोली दामन का साथ
आज बात करते हैं उत्तर प्रदेश के उस दर्द की जिसको यहां रहने वाली बेबस जनता अपने सीने में सहति आराहि हैं बात है उस दौर के उत्तर प्रदेश की जब जनता अपने सीने में हर रोज एक दर्द झेल ति थि 1975 के बाद से देश में एक अलग ही तरह का राजनीतिकरण हुआ जिसमें राजनेता बंदूक के दम पर गरीब दबी कुचली जनता को अपने डर और प्रभाव से डराती ति थि जिसकी वजह से बहुत से मालूम और बहुत से मासूम इस दुनिया से पलायन कर गए आए दिन कभी पूर्वांचल कभी अवध कभी प्रयागराज का क्षेत्र कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश नोएडा से लेकर मुरादाबाद तक हर तरफ बंदूकों का शोर और गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई देती थि आए दिन इस तरह की खबरें रेडियो के माध्यम से अखबारों के माध्यम से सुनने और पढ़ने को मिलती थी फला अपराधी ने गांव जला दिया इतनी लोगों की हत्या कर दी इस ज़मीन पर कब्जा करने के आरोप में दिनदहाड़े 10 लोग मारे गए ये खबरें अखबारों रेडियो की सुर्खियां हुआ करती थी यह सुनने को मिलता था कि उस माफिया ने राजनितिक दल को ज्वाइन कर लिया है और उसे फला विधानसभा से टिकट मिल गया ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहा धीरे धीरे वक्त बदलता गया वोटर भी पढ़ा लिखा होगया अच्छा बुरा समझने लगा तब उम्र हुई की कुछ बदलेगा बदला भी बदला तो बस इतना की अपराधियो के हौसले टूटे पर आज भी अपराध और राजनीति का चोली दामन का साथ बदस्तूर जारी है क्रमशः,———-