तीसरे दिन की भागवत कथा में उमड़े भक्त जन
दमोह। दमोह शहर के प्रसिद्ध मां बड़ी देवी मंदिर स्वर्गीय श्री राजाराम राय साव जी की स्मृति में चल रही देश के प्रसिद्ध कथा वाचिका देवी चित्रलेखाजी जी के मुखारविंद चल रही श्रीमद्भागवत कथा में तीसरे दिन शुकदेव आगमन, सती चरित्र, शिव परिवार, धुव्र चरित्र
प्रसंग सुनाया गया। कथाव्यास देवी चित्रलेखाजी ने कहा कि मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पुण्यों का उदय होने पर ही श्रीमद् भागवत जैसी भगवान की दिव्य
कथा श्रवण का सौभाग्य मिलता है। भागवत रूपी गंगा की धारा पवित्र और निर्मल है जो पापियों
को भी तार देती है। मुनि वेद व्यास के पुत्र शुकदेव ने महाराजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा का ज्ञान दिया था। वहीं सति चरित्र का वर्णन करते हुए
कहा कि यज्ञ में भगवान शिव का आमंत्रण और उनका भाग न दिए जाने पर कुपित होकर सती ने यज्ञ कुंड में आहुति देकर
शरीर त्याग दिया। इससे नाराज शिव के गणों ने राजा दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया। ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां द्वारा अपमानित होकर बालक ध्रुव कठोर तपस्या के लिए जंगल को चल पड़े। बारिश,आंधी-तूफान के बावजूद डिगने पर भगवान प्रगट हुए और उन्हें अटल पदवी दी। ऋाषभ देव कथा सुनाते हुए कहा कि वह अपने पुत्रों को गोविंद का
भजन करने का उपदेश देकर तपस्या को वन चले गए। जड़ भरत को हिरनी के बच्चे से अत्यंत मोह हो गया। नतीजे में उन्हें
मृग योनि में जन्म लेना पड़ा। धुव्र चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि प्रत्येक आश्रम में गृहस्थ सर्वोपरि होता है। नववेश जीव आनंदमय तब बनता है
जब वह शिव की खोज करता है। सद्गुरु संत के महत्व को बताते हुए कहा कि सत्य में संत, चित्त में भगवंत और आनंद में
श्रीमद् भागवत कथा के श्रोता बैठते हैं।
इस दौरान सुमन देवी राय, प्रकाश शिवहरे, सतीश तिवारी, आशीष कटारे, कमलेश भारद्वाज, दीपक मिश्रा, मोंटी रैकवार, गोपाल राय, पंकज राय सहित बड़ी संख्या में भक्त जनों की मौजूदगी रही।