देश की राजधानी में पकडे छतरपुर के दो हथियार, खुल सकते है कई राज

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छतरपुर जिले में पिछले पांच साल में 2463 आर्म्स एक्ट के मामले हुए दर्ज

सागर संभाग के छतरपुर जिले के हथियार तस्करो ने पूरे देश में अपना जाल मजबूत कर लिया है। देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने छतरपुर के उन दो हथियार तस्करो को पकड़ा है जो एक बड़े गिरोह को हथियारों की सप्लाई करने पहुंचे थे। जिनके पास से 12 पिस्टल बरामद की गई है। दिल्ली पुलिस की कार्यवाही से मध्यप्रदेश पुलिस कटघरे में है। तथा सवाल उठने लगे है कि मध्यप्रदेश और छतरपुर पुलिस का ख़ुफ़िया तंत्र क्या कर रहा, वैसे अवैध हथियार की तस्करी के मामले में मुख्य राजदारों से सरगनाओ तक पहुंचने में छतरपुर पुलिस नाकाम साबित हो रही है। छतरपुर पुलिस ने पिछले पांच साल में 2464 आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज किये लेकिन हथियार सप्लाई करने वालो को तलाश नहीं पाई। जानकारों का कहना है कि पुलिस आंकड़े बढ़ाने में तो मशगूल रहती है पर इन अवैध हथियार का सप्लायर कौन है, कहा से आते है,कोन बनाता है और उन्हें पकड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं रखती । कारण सरकार भी संख्या का आंकलन कर अच्छी और बुरी की समीक्षा करती है।यह कोई आम खबर नहीं बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा बेहद गंभीर है। देश की राजधानी दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने सराय काले खां के पास दबिश देकर दो युवकों के पास से एक दर्जन पिस्टल बरामद की। अवैध हथियार की यह खेप एक अपराधिक गैंग को आपूर्ति होनी थी। चौकाने वाला है कि दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पकड़ में आये दोनों युवक मध्यप्रदेश के छतरपुर शहर के निवासी है। जिनकी पहचान पहचान मोहम्मद अजीज और अरशद खान के रूप में हुई है। यह युवक कुख्यात हाशिम गैंग को हथियार देने गये थे। मीडिया खबरों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने बताया कि इन बदमाशों की ओर से राशिद केबल वाला के साथी दिनेश को हथियारों की खेप दी जानी थी। इसके लिए दिनेश भी मौके पर पहुंच गया था, लेकिन वह पुलिस के ट्रैप से निकल भागने में सफल रहा। वहीं पुलिस ने खेप लेकर दोनों बदमाशों को दबोच कर पूछताछ की तो इन्होंने बताया कि वह करीब तीन साल से अलग अलग गैंग के बदमाशों को सैकड़ों की संख्या में हथियारों की आपूर्ति कर चुके हैं। पुलिस की पूछताछ में हथियार तस्करों ने बताया कि वह गैर लाइसेंसी हथियारों की खरीद मध्य प्रदेश से करते थे। जहाँ अवैध रूप से हथियार बनाने की फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। इन फैक्ट्रियों से वह दस से 12 हजार में हथियारों की खरीद करते हैं और उसे दिल्ली एनसीआर में लाने के बाद 35 से 50 हजार रुपये में बेच देते हैं। पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह ऑन डिमांड हथियार मंगाते हैं और विभिन्न गैंग को सप्लाई करते हैं. इसमें कंट्रीमेड सेमी ऑटोमेटिक और फुली ऑटोमेटिक पिस्टल, असेंबल राइफल, रिवाल्वर, सिक्सर और माउजर आदि शामिल है। पुलिस के मुताबिक यह बदमाश विभिन्न गैंग की मांग पर फॉरेन मेड हथियार भी मंगाकर आपूर्ति करते हैं।दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़े छतरपुर के दो हथियार तस्कर के मामले ने मध्यप्रदेश के ख़ुफ़िया तंत्र को सवालों में खड़ा कर दिया है। साथ ही छतरपुर पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध हो चुकी है। जो अवैध असलाहा तो पकड़ती है लेकिन सरगनाओ को पकड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं। आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2018 से 2022 तक पांच साल के 1825 दिनों में छतरपुर के विभिन्न थानो में 2463 आर्म्स एक्ट के तहत मामले दर्ज हुए। वर्ष 2018 में सबसे अधिक 600 अपराध पंजीबद्ध हुए। 2019 में 345, 2020 में 445, 2021 में 481 और 2022 में 552 अवैध असलाहधारी पकडे गये। आंकड़े तो गुड है लेकिन हथियार के मुख्य सप्लायर सरगना क्यों नहीं पकडे गये? यह सवाल गंभीर है जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा बन गया है। छतरपुर के हथियार तस्करो की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान होने लगी है। जो देशी और विदेशी अवैध हथियार देश के कई राज्यों में सप्लाय कर रहे है।

सागर संभाग से

विषेश सम्बाददाता अनुरुद्ध मिश्रा

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