MP में राजनीति का ‘भक्ति काल’

153 विधानसभा सीटों पर धीरेंद्र शास्त्री, प्रदीप मिश्रा और पंडोखर सरकार का प्रभाव; 6 महीने में 500 से ज्यादा कथाएं
मध्यप्रदेश में इसी साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे बाबाओं के दरबार में नेताओं की नजदीकियां बढ़ने लगी हैं। अपने-अपने इलाकों में मंत्री से लेकर विधायक तक उनकी कथाओं के जरिए वोटर्स को साधने में लगे हैं। नेता अपनी छवि बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च करने में लगे हैं। शिवराज सरकार के कई मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में कथा करा चुके हैं तो कुछ वेटिंग लिस्ट में हैं। ऐसा नहीं है कि केवल बीजेपी ही धार्मिक आयोजन कर राजनीतिक पुण्य प्राप्ति का जतन कर रही है, कांग्रेस के बड़े नेता भी इन बाबाओं की कथा से राजनीतिक प्रसाद हासिल करने में लगे हैं।
दैनिक भास्कर की पड़ताल से पता चला कि प्रदेश में बीते 6 महीनों में 500 से अधिक धार्मिक कथाओं का आयोजन हो चुका है। इनमें से अधिकांश कथाएं नेताओं द्वारा आयोजित कराई जा रही हैं। इसमें तीन कथावाचकों बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, कुबेरेश्वर धाम के प्रदीप मिश्रा और पंडोखर सरकार गुरुशरण शर्मा का प्रदेश की 230 में से 153 विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा प्रभाव है। यही वजह है कि अधिकांश मंत्री और विधायक इन बाबाओं के दरबार में शरणागत हैं। साथ ही जया किशोरी की कथा सुनने वालों की तादाद भी लगातार बढ़ती जा रही है। जानिए, क्या है बाबाओं की कथाओं का राजनीति से संंबंध? चुनाव में कितनी सीटों पर इसका असर होगा?
बुंदेलखंड के बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को आजकल सनातन धर्म का पोस्टर बॉय कहा जा रहा है। उनके धार्मिक कार्यक्रमों में आस्था रखने वालों की भीड़ उमड़ रही है। इनका प्रभाव बुंदेलखंड सहित अन्य इलाकों के 89 विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा है। कुबेरेश्वर धाम के प्रदीप मिश्रा मालवा-निमाड़, भोपाल और नर्मदापुरम अंचल के 91 विधानसभा क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं। इसी तरह पंडोखर सरकार गुरुशरण शर्मा पर आस्था रखने वाले ग्वालियर-चंबल और भाेपाल संभाग के 59 विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा हैं। इसमें से 89 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां तीनों बाबाओं का प्रभाव दिख रहा है।