खरीफ फसलों के उचित मूल्य निर्धारण

खरीफ फसलों के उचित मूल्य निर्धारण का स्वागत: भारतीय किसान संघ
कल 07.06.2023 को कैबिनेट ने खरीफ फसलों 2023-2024 के लिए मूल्य निर्धारण किया है। किसान हित की दिषा में यह एक बढ़ता कदम जैसा लगता है। भारतीय किसान संघ की जो लड़ाई ‘‘किसानों को फसलों के लाभकारी मूल्य मिले’’, यह मांग पूरी होने के नजदीक में आ रही है, ऐसा लगता है। भारतीय किसान संघ की यह लडाई आखिर रंग लायेगी ये विश्वास किसानों के मन में जगा है। बशर्ते मंण्डियों में –
- इस घोषित मूल्य के नीचे बोली न लगे।
- फसलों की कटनी-छटनी बंद हो।
- क्योकि किसान विक्रेता है, इसलिए आडती कर से लेकर कई प्रकार के कर किसानों से मंण्डियों में और बाजारों में वसूला जाता है वो आडतीयों से और खरीददारों से वसूला जायें तभी मंण्डियों के साथ खुला बाजार भी प्रतियोगिता में आयेगा और किसानों को उनका सही मूल्य मिलने की संभावना ओर बढ़ जायेगी।
इसके अलावा
• तुवर, उड़द और मसूर की खरीद पर पाबंदी हटा दी है यह अच्छा निर्णय है, इससे किसानों का उत्साह बढ़ेगा एवं दलहन में स्वयंपूर्ण होने की दिशा में बढ़ेगें। तिलहन के बारे में भी यही नीति सरकार को अपनानी चाहिए।
• सरकार खरीद के लिए वर्षों पुराने औसत ऊपज को ही प्रमाण माना जा रहा है। जबकि गुणवत्तापूर्ण बीजों एवं नई तकनिक के चलते औसत उपज में वृद्वि हुई है, उसे ध्यान में रखकर किसान से उपज खरीद की व्यवस्था होने की आवश्यकता है।
‘‘केन्द्र सरकार के केबिनेट कमेटी की 2023-2024 की खरीफ फसलों की यह मूल्य घोषणा सरहानीय तो है, किसानों के हितों में बढ़ते कदम तो है, लेकिन जब तक राज्य सरकारें अपने मंण्डियों को, किसानों को उचित मूल्य देने का सुनिष्चित नही करते है, मंण्डियों में किसानों का षोषण नही रूकता है साथ में आयात-निर्यात निति को भी तर्क संगत बनाना होगा, तब तक केन्द्र सरकार का यह अच्छा कदम किसानों का भला नही कर पायेगा।’’
भारतीय किसान संघ केन्द्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत करता है, यह निर्णय फसल विविधत्ता को प्रोत्साहित करते हुए देश हित में यह एक अच्छा कदम है। इसी के साथ राज्य सरकारों को किसान हित में कदम आगे बढ़ाने का प्रयास करने के लिए भी मांग करता है। धन्यवाद।
सादर
मोहिनी मोहन मिश्र
अखिल भारतीय महामंत्री
भारतीय किसान संघप्रेस विज्ञप्ति
2023-2024 खरीफ फसलों के उचित मूल्य निर्धारण का स्वागत: भारतीय किसान संघ
कल 07.06.2023 को कैबिनेट ने खरीफ फसलों 2023-2024 के लिए मूल्य निर्धारण किया है। किसान हित की दिषा में यह एक बढ़ता कदम जैसा लगता है। भारतीय किसान संघ की जो लड़ाई ‘‘किसानों को फसलों के लाभकारी मूल्य मिले’’, यह मांग पूरी होने के नजदीक में आ रही है, ऐसा लगता है। भारतीय किसान संघ की यह लडाई आखिर रंग लायेगी ये विश्वास किसानों के मन में जगा है। बशर्ते मंण्डियों में – - इस घोषित मूल्य के नीचे बोली न लगे।
- फसलों की कटनी-छटनी बंद हो।
- क्योकि किसान विक्रेता है, इसलिए आडती कर से लेकर कई प्रकार के कर किसानों से मंण्डियों में और बाजारों में वसूला जाता है वो आडतीयों से और खरीददारों से वसूला जायें तभी मंण्डियों के साथ खुला बाजार भी प्रतियोगिता में आयेगा और किसानों को उनका सही मूल्य मिलने की संभावना ओर बढ़ जायेगी।
इसके अलावा
• तुवर, उड़द और मसूर की खरीद पर पाबंदी हटा दी है यह अच्छा निर्णय है, इससे किसानों का उत्साह बढ़ेगा एवं दलहन में स्वयंपूर्ण होने की दिशा में बढ़ेगें। तिलहन के बारे में भी यही नीति सरकार को अपनानी चाहिए।
• सरकार खरीद के लिए वर्षों पुराने औसत ऊपज को ही प्रमाण माना जा रहा है। जबकि गुणवत्तापूर्ण बीजों एवं नई तकनिक के चलते औसत उपज में वृद्वि हुई है, उसे ध्यान में रखकर किसान से उपज खरीद की व्यवस्था होने की आवश्यकता है।
‘‘केन्द्र सरकार के केबिनेट कमेटी की 2023-2024 की खरीफ फसलों की यह मूल्य घोषणा सरहानीय तो है, किसानों के हितों में बढ़ते कदम तो है, लेकिन जब तक राज्य सरकारें अपने मंण्डियों को, किसानों को उचित मूल्य देने का सुनिष्चित नही करते है, मंण्डियों में किसानों का षोषण नही रूकता है साथ में आयात-निर्यात निति को भी तर्क संगत बनाना होगा, तब तक केन्द्र सरकार का यह अच्छा कदम किसानों का भला नही कर पायेगा।’’
भारतीय किसान संघ केन्द्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत करता है, यह निर्णय फसल विविधत्ता को प्रोत्साहित करते हुए देश हित में यह एक अच्छा कदम है। इसी के साथ राज्य सरकारों को किसान हित में कदम आगे बढ़ाने का प्रयास करने के लिए भी मांग करता है। धन्यवाद।
सादर
मोहिनी मोहन मिश्र
अखिल भारतीय महामंत्री
भारतीय किसान संघ चाणक्य न्यूज़ इंडिया