समलैंगिक कानून के खिलाफ एकजुट नज़र आया दमोह

संस्कृति रक्षा मंच दमोह के तत्वाधान में समलैंगिक विवाह मान्यता प्रयासों के विरोध में राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
समलैंगिक कानून के खिलाफ एकजुट नज़र आया दमोह
दमोह। माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जबसे समलैंगिक विवाह को विधि मान्य करने की सुनवाई प्रक्रिया दैनिक आधार पर प्रारंभ हुई है, तभी से पूरे देश में, सर्व समाजों के बीच एक उद्वेलन की स्थिति बनी हुई है। दमोह नगर में भी यही प्रक्रिया देखने को मिली। गत दिवस लिए गए निर्णय के अनुसार आज अंबेडकर चौक पर एकत्रित होकर सभी संगठनों एवं समाजों के लोगों ने एक स्वर में समलैंगिक विवाह को विधि मान्य करने की प्रक्रिया के विरुद्ध असंतोष जताया। इस अवसर पर संस्कृति रक्षा मंच दमोह के संयोजक इंजीनियर अमर सिंह राजपूत ने बताया कि भारतीय परंपराओं में सभी जाति धर्मो और संप्रदायों के बीच विवाह की परंपरा दो जैविक स्त्री और पुरुषों के बीच मान्य किया गया है। इसी आधार पर सभी तरह के धार्मिक सामाजिक रीति रस्म और परंपराएं निर्धारित हुई हैं और यही हमारी संस्कृति का हिस्सा है, जो प्राकृतिक व्यवस्था पर आधारित है। समलैंगिक विवाह नातो प्रकृति के अनुकूल है और ना ही किसी धर्म के अनुसार ।विभिन्न लोक संस्कृतियों में भी भिन्न भिन्न प्रथाओं और परंपराओं का चलन होने के बावजूद ,भारत में कहीं भी दो जैविक पुरुष पुरुष या जैविक स्त्री स्त्री के बीच वैवाहिक संबंधों को मान्यता नहीं है।यदि समान लिंग के दो जैविक व्यक्तियों के मध्य विवाह को मान्यता दी जाती है, तो परिवार की मूल इकाई,जो कि भारतीय संविधान द्वारा समाज में स्थापित की गई है,उसके उसके मापदंड और ताने-बाने सब विखर जाएंगे।जिससे समाज की संरचना में भविष्य में दूरगामी दुष्प्रभाव देखने मिलेंगे। इस अवसर पर जागरूक सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों और व्यक्तियों ने, संस्कृति रक्षा मंच के तत्वाधान में हस्ताक्षर अभियान चलाकर माननीय महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर अनुरोध किया कि, न्यायपालिका के माध्यम से समाज की मान्यताओं, परंपराओं और उनकी व्यवस्थाओं को प्रभावित करने वाला कोई कानून नहीं थोपा जा सकता है और यदि समलैंगिकों के अधिकारों के ही संरक्षण बात है तो यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है उस के ही माध्यम से इस तरह के प्रश्नों का हल ढूंढा जाना चाहिए।
इस दौरान प्रमुख रूप से संस्कृति रक्षा मंच के जिला संयोजक इंजीनियर अमर सिंह राजपूत, कमलेश पटेल,आर.के.मिश्रा, एडवोकेट हरिश्चन्द्र पटेल, संतोष शर्मा, मनीष पुष्पराज शर्मा, राम पटेल, महेन्द्र ताम्रकार, नरोत्तम लाल चौरसिया, अभितेन्द्र राय, विक्रम साहु, अमित राय, सुनील ठाकुर, छूट्टू यादव, राहुल नायक, प्रेमशंकर वर्दिया, गोविन्द सेन, जितेन्द्र चर्तुवेदी, आदर्श बसेडिया, मदन सिंह राजपूत, धन सिंह राजपूत, अखलेश रजक, रघुवीर लोधी, राम तिवारी, कविता राय पार्षद, गरिम त्रिपाठी, सीमा जाट, रिया यादव अखलेन्द्र मालवीय, आदित्य सिरोठिया, गोपाल पटेल, प्रभु, बाबूलाल सेन, पंडित आशीष शर्मा, निक्की सेन, फैयाज खान, धमेन्द्र वाधवा, रामकृष्ण पटेल, ऐ.पी.चांदोकर, आदित्य चौरसिया, मोंटी रैकवार, देवेन्द्र कुमार खरे, रिषभ जैन, राजेश जैन सन्मति, महेश मिश्रा, अजय खत्री, बबलू बेलकम, लाल जी राम पटेल, गजेन्द्र चौबे एडवोकेट, सुरेश साहू, प्रताप सिंग यादव, रवि ठाकुर, अखलेश कुमार सेन एडवोकेट, सुधीर जैन अध्यक्ष जैन पंचायत जैन, पद्यम चंद्र जैन जैन महापंचायत, गोपाल पटेल जिला महामंत्री भाजपा, डॉ.पी.एल.शर्मा पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी, शिश विज्ञान सुशोभित, कमलेश असाटी, गंगाराम झारिया जिला संगठन मंत्री, वनवासी परिषद दमोह, रत्नेश चतुर्वेदी, राकेश सिंह हजारी अध्यक्ष जिलापूत क्षत्रीय सभा दमोह, सुधीर पाण्डे एडवोकेट, त्रिवेन्द्र सिंह राजपूत राजपूत युवा अध्यक्ष दमोह ,शैलेन्द्र सिंह परिहार, राजेन्द्र सिंग जोरतला, राम रैकवार, कमलेश विश्वकर्मा, कमलेश सेन, प्रमोद विश्वकर्मा, संजय गौतम, राजीव गोस्वामी, श्याम विश्वकर्मा, भोजरात नामदेव, रामकिशोर पाण्डे, मनोज देवलिया, जालम विश्वमकर्मा, निधि श्रीवास्तव,नीरज शर्मा,दीपक तिवारी, अब्दुल कईयुम खान, सौरभ कुमार, संदीप खरे, राजू पटेल, चंद्रभान पटेल, सुंदर सिंह ठाकुर, विधि सिंग ठाकुर, संजू शर्मा पटेरा, हरिश्चंद्र जी, दीपेश उपाध्याय, सुरेश नामदेव, सुधीर सपरे, धमेन्द्र सिंह जूदेव, नन्हे सिंह ठाकुर, नीरज असाटी,श्याम शिवहरे सहित बडी संख्या में सामाजिक राजनैतिक और गैराजनैतिक आम नागरिकों की बडी संख्या में मौजूदगी रही।