जन सहयोग और रैकवार समाज के युवाओं द्वारा तालाब के घाटों की जा रही मरम्मत और सफाई ।
दमोह गत कई वर्षों से प्रशासनिक उपेक्षा के शिकार ऐतिहासिक धरोहर के रूप में पंजीकृत फुटेरा तालाब, जो सर्वधर्म सद्भाव और कार्यक्रमों का केंद्र है, निरंतर प्रशासनिक उदासीनता और उपेक्षा का शिकार रहा है इस तालाब को 1880 में किए गए घाटों के निर्माण के बाद कोई कार्य नहीं कि किया गया, जिससे धीरे-धीरे घाट क्षतिग्रस्त होकर जर्जर स्थिति में होते जा रहे हैं , जिसके बाद पिछले कुछ वर्षों से मांझी समाज कि युवाओं ने तालाब में सफाई अभियान चलाकर तालाब को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए लगातार श्रमदान करके कार्य कर रहे हैं तालाब के किनारे जहां कभी खड़े होना भी दुश्वार था, आज वहां पर इन युवाओं ने पौधारोपण करके और फेंसिंग करके इतना सुंदर बना दिया है कि आसपास रहने वाले लोग सुबह और शाम इस स्थान पर भ्रमण करने लगातार आ रहे हैं युवाओं का कहना है कि यह तलाब हमारे बाप दाताओं की मेहनत से इस स्वरूप में बचा हुआ है इसलिए हम इस विरासत को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं स्वयं ही पैसा जोड़कर ये युवा अब घाटों की मरम्मत का कार्य भी कर रहे हैं।