#56परिवार टूटी फूटी टपरिया में रहने को मजबूर नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास
56परिवार टूटी फूटी टपरिया में रहने को मजबूर नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास
सरपंच सहित कई अधिकारियों से लगाई गुहार…*
गोपालपुर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर है बरखेड़ी पंचायत
भेरूदा
प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री तमाम मंचों से बड़े-बड़े वादे करते हैं वहीं प्रधानमंत्री का लक्ष्य था कि 2022 तक कोई भी व्यक्ति का मकान कच्चा नहीं रहेगा लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की विधान सभा और भाजपा जिला अध्यक्ष के गांव के पास की पंचायत के लगभग 56 परिवार अभी भी प्रधानमंत्री आवास से कोसों दूर है टूटी-फूटी टपरिया में रहने को मजबूर है
लेकिन जनपद पंचायत भेरूंदा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बरखेड़ी मैं आज भी कई परिवार मूलभूत सुविधाओं से वंचित यहां कई ग्रामीण ऐसे हैं जिन्हें शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं पीएम आवास का लाभ नहीं मिला है जिसको लेकर ग्रामीण द्वारा सरपंच से लेकर कई अधिकारियों से आवेदन निवेदन भी कर चुके है
लेकिन आज भी पीएम आवास को तरस रहे ग्रामीणो को झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर वहीं कुछ ग्रामीण ऐसे भी है जिनके मकान नाले के किनारे पर है जहां बारिश के दिनों में नाले का पानी उनके झोपड़ी से आर पार हो जाता है, जिसके कारण उन्हें घर छोड कर कभी शासकीय स्कूल या अन्य स्थान पर पन्हा लेनि पड़ती है लेकिन गृहस्थी का सामना पानी की चपेट मे आने से खाने तक के लाले पड जाते है
वही इस संबंध में ग्राम पंचायत बरखेड़ी के सरपंच प्रतिनिधि से पूछा तो बताया कि हमारे द्वारा बरखेड़ी एवं पिपलिया टप्पर के 56परिवारो की पी एम आवास की सूची जनपद पंचायत कार्यालय भेरूंदा को भेजदी गई है, लेकिन अभी तक किसी प्रकार का कोई आदेश वहां से नहीं दिया गया है जिसके कारण आज भी प्रधानमंत्री आवास विहीन है ग्राम के 56 परिवार
पीएम आवास विहीन परिवार की आंख से निकला पानी
ग्राम पंचायत बरखेड़ी में निवास करने वाली फूलवती बाई ने बताया कि बीते लगभग 10 सालों से यहां निवास कर रहे हैं पहले गांव में निवास करते थे फिर गांव के बाहर आकर यहां निवास कर रहे हैं लेकिन पीएम आवास का लाभ अभी तक नहीं मिला है हमारा मकान नाले के किनारे पर है और जब बारिश होती है तो नाले का पानी घर में आर पार हो जाता है वहीं इस टूटी फूटी झोपड़ी में छोटे बड़े मिलाकर नौ लोग निवास करते हैं लेकिन जब बारिश होती है तो छत से पानी अगल-बगल से पानी रहना तो दूर की बात खाना-पीना भी दुश्वार हो जाता है पन्हा लेने के लिए गांव के शासकीय भवन या अन्य किसी रिश्तेदार के यहां जाना पड़ता है लेकिन गृहस्थी का संसाधन पूरा तबाह हो जाता है ऐसे में सरकार से गुहार है कि जल्द योजना का लाभ देकर पक्का मकान बनवाया जाए ताकि परिवार के साथ सुखी जीवन यापन हो सके